दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय मोबाइल डाटा का इस्तेमाल पहले से ज्यादा करने लगे हैं। इसका एक मुख्य कारण रिलायंस जियो की लॉन्चिंग भी है। जियो ने टेलिकॉम बाजार में एंट्री के बाद डाटा प्लान्स की कीमतों को काफी कम कर दिया जिससे यूजर्स इंटरनेट इस्तेमाल करने की तरफ आकर्षित हुए। कंस्लटिंग फर्म Deloitte ने अंदाजा लगाया है कि साल 2020 तक भारत में मोबाइल डाटा यूसेज 1608 पीबी यानि पेटाबाइट तक बढ़ जाएगी। आपको बता दें कि 1 पेटाबाइट का मतलब 1 बिलियन जीबी होता है। साथ ही यह भी बताया कि इस दौरान ही भारत में स्मार्टफोन का इस्तेमाल भी 58 फीसद तक बढ़ने की उम्मीद है।
2017 के आखिरी तक इतनी होगी डाटा यूसेज:
मौजूदा समय में 30 फीसद यूजर्स स्मार्टफोन का और बाकी के फीचर फोन का इस्तेमाल करते हैं। साल 2017 के आखिरी तक मोबाइल डाटा यूसेज 391 पेटाबाइट होने की संभावना है। वहीं, 2018 तक यह संख्या 642 पेटाबाइट तक पहुंच सकती है। इसके साथ ही साल 2019 तक मोबाइल डाटा यूसेज 1099 पेटाबाइट तक पहुंचने की उम्मीद लगाई जा रही है। टेलिकॉम कंपनियों को सबसे ज्यादा रेवन्यू डाटा से ही प्राप्त होता है। Deloitte के पार्टनर अभिषेक वी ने कहा, “आगे जाकर डाटा से 60 फीसद और वॉयस कॉलिंग से 40 फीसद का रेवन्यू अर्जित किया जाएगा।”
जियोफोन देगा मोबाइल ऑपरेटर्स को कड़ी टक्कर:
जून 2017 के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 57 फीसद डाटा यूसेज स्मार्टफोन से, 26 फीसद फीचर फोन से, 10 फीसद फिक्स्ड वायरलेस डिवाइस से, 5 फीसद टैबलेट्स से और 2 फीसद वाई-फाई डोंगल्स से होता है। Deloitte की मानें तो जियोफोन आने वाले समय में मोबाइल बाजार में क्रांति ला सकता है। साथ ही Deloitte ने यह पाया है कि जियो के 1500 रुपये के फीचर फोन और फ्री 4जी डाटा से दूसरे मोबाइल ऑपरेटर्स पर ज्यादा दवाब बनेगा।” मैरी मीकर रिपोर्ट के मुताबिक, जियो ने महज 1 साल के अंदर भारत में मोबाइल डाटा टैरिफ्स की कीमत को 48 फीसद तक घटा दिया है।
अगर 4जी डाटा की बात की जाए तो इसमें पिछले कुछ समय में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। इसका सब्सक्राइबर बेस 2022 तक 1.15 बिलियन होने की उम्मीद है। हालांकि, ग्रामिण इलाकों में 3जी ज्यादा फैला हुआ है। वहीं, जल्द ही 5जी भी भारत में दस्तक दे सकता है।