नई दिल्ली (जेएनएन)। वीडियो स्ट्रीमिंग साइट यूट्यूब पर स्थानीय भाषाओं के वीडियो काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। यूट्यूब ने दावा किया है कि उसके प्लेटफॉर्म पर पिछले 2 वर्षों में स्थानीय भाषा की वीडियो की देखने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। यूट्यूब इंडिया के एंटरटेनमेंट हेड सत्य राघवन ने बताया, “हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड और मलयालम में इस वक्त भारी बढ़ोतरी दिख रही है। वहीं, हरियाणवी, मराठी, बंगाली और दूसरी कई भाषाएं भी ज्यादा पीछे नहीं हैं।” देश में टॉप क्षेत्रीय यूट्यूब चैनलों में एक औसत चैनल अपने स्पॉन्सर और विज्ञापनदाताओं से 3000 डॉलर यानि करीब 1,92,000 रुपये प्रति महीना से 4000 डॉलर यानि करीब 2,56,000 रुपये प्रति महीना कमाता है।
वीडियो कॉन्टेंट में हुई बढ़ोतरी:
अगर फॉलोवर्स की बात की जाए तो भारत के टॉप 10 स्थानीय चैनल्स के सब्सक्राइबर 3 से 8 लाख तक हैं। राघवन ने बताया, “2014 के अंत और 2015 की शुरुआत में हमने देखा कि इन्होंने साउथ इंडिया के कॉन्टेंट क्रिएटरों को प्रेरणा दी और उन्होंने मलयालम, तेलुगु, तमिल और दूसरी भाषाओं में कॉन्टेंट बनाना शुरू कर दिया। 2016 में यह बंगाली, मराठी, गुजराती, हरियाणवी में भी बनने लगा और अब 2017 में स्थानीय भाषाओं में बने कॉन्टेंट में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यहां तक कि अलग-अलग इलाकों के कॉन्टेंट क्रिएटर हिंदी में भी बढ़िया कॉन्टेंट बना रहे हैं।”
यूट्यूब इंडिया की मानें तो भारतीय भाषा में बने वीडियोज देश के बाहर भी काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इन्हें देश के बाहर करीब 40 फीसद गैर-भारतीय यूजर्स देखते हैं। आपको बता दें कि पंजाबी कॉन्टैंट को अमेरिका, यूके और कनाडा के भारतीय क्षेत्रों में देखा जाता है। वहीं, मिडिल ईस्ट में साउथ इंडियन भाषाओं के वीडियो ज्यादा देखे जाते हैं।
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