Friday, August 18, 2017

! मेंढक-मेंढकी की शादी OMG





कहा जाता है कि जब किसान इंद्र से बरसात के लिए प्रार्थना करते हैं, तो इंद्र किसानों से कहते हैं कि जब तक यहां के मेंढक बरसात के लिए ‘हां’ नहीं बोलेंगे तब तक वे बरसात नहीं करेंगे. इसी मान्यता के अनुसार गांव के लोग मिलकर मेंढक-मेंढकी की शादी करवाते हैं.

असम में इसे ‘बेखुली बियाह’ कहते हैं. असमिया भाषा में ‘बेखुली’ मेंढक को कहते हैं, जबकि ‘बियाह’ का मतलब शादी होता है.

बारिश के मौसम में ही मेंढकों का मिलन होता है, जिसके बाद माना जाता है कि मेंढक प्रसन्न होकर बोलते हैं, जिसे सुनकर इंद्र वर्षा करते हैं. इस अद्भुत शादी में सभी परंपरागत रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है.

मेंढक की शादी के बाद नवविवाहित जोड़े को पानी में छोड़ दिया जाता है. इस मौके पर गांव की औरतें मंगल गीत भी गाती हैं. इस शादी में क्या बच्चे-क्या बूढ़े, सभी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. इस शादी का खर्च भी सभी गांववाले मिलकर उठाते हैं.






अनेक तरह की विविधताओं से भरे हमारे इस देश में ऐसी-ऐसी परंपराएं निभाई जाती हैं, जिन्हें जानकर आप भी कहेंगे OMG! ये मेरा इंडिया.

भारत के उत्तर-पूर्व में बसे असम में ऐसी ही एक परंपरा सदियों से निभाई जा रही है, जो न केवल दिलचस्प है, बल्कि ये जुड़ी हुई हमारी प्रकृति के साथ भी.

असम में लोग मेंढक और मेंढकी की शादी करते हैं. इनका मानना है कि इससे प्रकृति प्रसन्न होती है और जिसके कारण बरसात होती है.

दरअसल असम चावल की खेती के लिए मशहूर है और इसकी खेती की ज्यादा मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है. इसलिए जब भी यहां लंबे समय तक बरसात नहीं होती है, तो यहां के किसान देवताओं के राजा इंद्र को प्रसन्न करने के लिए ऐसा करते हैं.

कहा जाता है कि जब किसान इंद्र से बरसात के लिए प्रार्थना करते हैं, तो इंद्र किसानों से कहते हैं कि जब तक यहां के मेंढक बरसात के लिए ‘हां’ नहीं बोलेंगे तब तक वे बरसात नहीं करेंगे. इसी मान्यता के अनुसार गांव के लोग मिलकर मेंढक-मेंढकी की शादी करवाते हैं.

असम में इसे ‘बेखुली बियाह’ कहते हैं. असमिया भाषा में ‘बेखुली’ मेंढक को कहते हैं, जबकि ‘बियाह’ का मतलब शादी होता है.

बारिश के मौसम में ही मेंढकों का मिलन होता है, जिसके बाद माना जाता है कि मेंढक प्रसन्न होकर बोलते हैं, जिसे सुनकर इंद्र वर्षा करते हैं. इस अद्भुत शादी में सभी परंपरागत रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है.

मेंढक की शादी के बाद नवविवाहित जोड़े को पानी में छोड़ दिया जाता है. इस मौके पर गांव की औरतें मंगल गीत भी गाती हैं. इस शादी में क्या बच्चे-क्या बूढ़े, सभी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. इस शादी का खर्च भी सभी गांववाले मिलकर उठाते हैं.

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